महादेवी वर्मा के साहित्य में आध्यात्मिकता और एकांत

Authors

  • डॉ. राम अधार सिंह यादव Associate Professor, Department of Hindi S.M. College Chandausi, Sambhal (U.P.)

Keywords:

महादेवी वर्मा, आध्यात्मिकता, एकांत, हिंदी साहित्य, नीरजा

Abstract

महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की एक प्रमुख कवयित्री और लेखक थीं, जिनके साहित्यिक कार्यों में आध्यात्मिकता और एकांत का महत्वपूर्ण स्थान है। उनके साहित्य में भावनाओं की गहनता और विचारों की गहराई को अभिव्यक्त किया गया है, जिसमें आध्यात्मिकता और एकांत प्रमुख तत्व के रूप में उभरते हैं। इस शोध पत्र का उद्देश्य महादेवी वर्मा के साहित्यिक कार्यों में इन दो तत्वों का विश्लेषण करना है और यह समझना है कि कैसे उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से इनका चित्रण किया। महादेवी वर्मा की कविताओं में आध्यात्मिकता का प्रवाह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उनकी रचनाओं में आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध, मानव जीवन के उद्देश्य और आध्यात्मिक अनुभवों का चित्रण मिलता है। उनकी कविता 'नीरजा' में, आध्यात्मिकता को एक गहरे और सूक्ष्म तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जहां वे आत्मा की खोज और ईश्वर के साथ उसके मिलन की बात करती हैं। एकांत, महादेवी वर्मा के साहित्य का एक और प्रमुख तत्व है। उनके साहित्य में एकांत को आत्म-विश्लेषण, आत्म-चिंतन और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम के रूप में देखा गया है। उनकी कविताओं में एकांत का चित्रण एक ऐसी अवस्था के रूप में किया गया है जहां व्यक्ति अपने आंतरिक संसार में प्रवेश करता है और वहां उसे शांति और संतोष की अनुभूति होती है।

References

आधुनिक साहित्य की प्रवर्तियाँ – डॉ नामवर सिंह, पृष्ठ 50

काव्य और कला तथा अन्य निबध – जयशंकर प्रसाद, पृ 39

आधुनिक लाहिय – नन्ददुलारे बाजपये पृ ३७१

हिंदी साहित्य का इतिहास. पृष्ठ 330, आचार्य दुर्गा शंकर मिश्र ।

दीपशिखा पृष्ठ 53 महादेवी वर्मा ।

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Published

30-09-2018

How to Cite

डॉ. राम अधार सिंह यादव. (2018). महादेवी वर्मा के साहित्य में आध्यात्मिकता और एकांत. International Journal for Research Publication and Seminar, 9(4), 55–60. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1439

Issue

Section

Original Research Article