जयशंकर प्रसाद के काव्य में प्रतीकवाद का विकास

Authors

  • डॉ. राम अधार सिंह यादव Associate Professor, Department of Hindi, S.M. College Chandausi, Sambhal (U.P.)

Keywords:

जयशंकर प्रसाद, प्रतीकवाद, हिंदी साहित्य, काव्य, कामायनी

Abstract

जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि और नाटककारों में से एक थे, जिनकी रचनाओं में प्रतीकवाद का विशेष स्थान है। इस शोध पत्र का मुख्य उद्देश्य जयशंकर प्रसाद की काव्य में प्रतीकवाद के विकास और उसकी महत्वपूर्णता को समझना है। प्रतीकवाद का अध्ययन करते हुए यह शोध पत्र उनके प्रमुख काव्य संग्रहों जैसे 'कामायनी', 'झरना', और 'आंसू' में प्रयुक्त प्रतीकों की गहन विवेचना करता है। प्रसाद की काव्य में प्रतीकवाद केवल सौंदर्यशास्त्र की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह उनके दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करता है। उनके द्वारा प्रयुक्त प्रतीक, जैसे जल, पर्वत, सूर्य, और चंद्रमा, न केवल प्राकृतिक तत्वों का चित्रण करते हैं, बल्कि मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं और मनोवृत्तियों को भी दर्शाते हैं। इस शोध पत्र में प्रतीकवाद के विकास को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ में भी समझने का प्रयास किया गया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कैसे जयशंकर प्रसाद ने भारतीय साहित्यिक परंपरा में प्रतीकवाद को नया आयाम दिया। इसके अतिरिक्त, प्रसाद की काव्य रचनाओं में प्रतीकवाद की प्रभावशीलता और उसके पाठकों पर पड़ने वाले प्रभाव का भी विश्लेषण किया गया है।

References

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Published

31-12-2018

How to Cite

डॉ. राम अधार सिंह यादव. (2018). जयशंकर प्रसाद के काव्य में प्रतीकवाद का विकास. International Journal for Research Publication and Seminar, 9(5), 84–89. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1438

Issue

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Original Research Article