कालिदासकािीन िोक लिश्वास ि धारणाएँ : लिशेष संदर्भ – अलर्ज्ञानशाकु न्तिम

Authors

  • Kuldeep Singh

Keywords:

सामालजक,, धारणा, संस्कार,, मान्यता,

Abstract

ककसी र्ी कलि या रचनाकार का कायभ तत्कािीन समाज से प्रर्ालित हुए लिना नहीं रह सकता। यकद ककसी र्ी कलि की रचना, काव्य या िेख समाज में िोकलप्रय है तो यह स्पष्ट है कक िह रचना अपने काि और युग में प्रचलित िोक-लिश्वास ि धार्मभक, सामालजक मान्यताओं का िाहक है। महाकलि कालिदास द्वारा रलचत अलर्ज्ञानशाकु न्तिम नाटक में हमें तत्कािीन समाज के लिश्वासों, धारणाओं और मान्यताओं के दशभन होते हैं। प्रस्तुत शोध िेख के माध्यम से महाकलि कालिदासकृ त अलर्ज्ञानशाकु न्तिम में प्राप्त लििरण द्वारा तत्कािीन िोक-लिश्वास ि सामालजक धारणाओं को प्रकाश में िाने का प्रयास ककया गया है।

References

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अलर्ज्ञान शाकु न्तिम 4/1

अलर्ज्ञान शाकु न्तिम 1/16

अलर्ज्ञान शाकु न्तिम 7/13

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Published

30-06-2021

How to Cite

Singh, K. (2021). कालिदासकािीन िोक लिश्वास ि धारणाएँ : लिशेष संदर्भ – अलर्ज्ञानशाकु न्तिम . International Journal for Research Publication and Seminar, 12(2), 82–87. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/125

Issue

Section

Original Research Article