प्रेमचंद की दलित कहानियां एक समाजशास्त्रीय

Authors

  • jagriti chanakyapuri

Keywords:

दलित, सौभाग्य का कोड़ा, समाजशास्त्रीय , दयनीय स्थिति

Abstract

प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के प्रिय लेखक हैं। उन्हें 'उपन्यास सम्राट', 'किम का जादूगर' और 'किम का मजदू' आदि शीर्षकों से याद किया जाता है। उन्होंने तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखी हैं। उनकी कहानियों में तत्कालीन समाज की विषम परिस्थितियों का अत्यंत मार्मिक एवं विस्तृत वर्णन मिलता है। उन्होंने समाज के पीड़ित वर्ग की समस्याओं को अपनी शिक्षाओं में स्थान दिया। उन्होंने किसानों, मजदूरों, दलितों और महिलाओं के उत्पीड़न और दुख को अभिव्यक्ति दी। समाज की प्रमुख समस्याओं में संकीर्ण भौतिकवाद एवं गुलामी जातिवाद की समस्या को जन्म देती है। प्रेमचंद जी ने अपनी लघुकथाओं में अछूत और दलित समझे जाने वाले वर्ग की दयनीय स्थिति का सजीव वर्णन किया है। उनके द्वारा लिखी गई कहानियां जैसे ठाकरी का करोण, मांडी, मंत्र, सद्रिगलट, काफी, घासवादी, सौभाग्य का कोड़ा और विनाश आदि दलित समाज के शोषण, उत्पीड़न और गरीबी को दर्शाती हैं।

References

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Published

30-06-2015

How to Cite

jagriti. (2015). प्रेमचंद की दलित कहानियां एक समाजशास्त्रीय . International Journal for Research Publication and Seminar, 6(1), 132–136. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/79

Issue

Section

Original Research Article