प्रेमचंद की कहानियों में दलित स्त्री जीवन विमर्श :एक अध्ययन
Keywords:
प्रेमचंद, कहानियााँ, उपुेक्षाओं, जीवि, समाजAbstract
मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में दलित समाज की तत्कालिक परिस्थितियों का यथार्कथ अंकन किया गया है। अभावों व उपुेक्षाओं से निर्मित दैनिक जीवन दारुणता व करूणा से भरा हुआ है। उनकी कहानियों के सभी पात्र वास्तविक जीवन से मेल खाते हैं। कहीं भी बोझिलता व बनावटिप्न ये कहानियााँ पढने के बाद सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है, कि पिछडी जाति को अछूत मान कर जो अत्याचार किया गया, वह कितना अमानवीय व घृनणत है।
References
मानसरोवर भाग-4, सरस्वती प्रेस बनारस , छठवां संस्संकरण 194, पुृष्ठ संख्या-292
मानसरोवर भाग-, सरस्वती प्रेस बनारस , छठवां संस्संकरण 4947, पुृष्ठ संख्या-34
मानसरोवर भाग-5, सरस्वती प्रेस बनारस , पहला संस्संकरण 4946, पुृष्ठ संख्या-8
मानसरोवर भाग-4, सरस्वती प्रेस बनारस , छठवां संस्संकरण 494, पुृष्ठ संख्या-35
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