संत नितानन्द और लोक संस्कृति

Authors

  • डाॅ. नीलम सहायक प्राध्यापक, हिन्दू कन्या महाविद्यालय, जीन्द।

Keywords:

पाण्डित्य, व्यवहार, परम्परा, समृद्ध

Abstract

लोक शब्द का अर्थ जनसामान्य से है। अर्थात् वह वर्ग जो संस्कार युक्त व पाण्डित्य के अहंकारों से विहीन होने के साथ ही परम्परा के प्रवाह में जीवित है। जिसमें न केवल भूत व वर्तमान अपितु भविष्य भी संचित रहता है। वहीं संस्कृति उस सीखे हुए व्यवहार का नाम है जो सामाजिक परम्परा के उन गुणों का समावेश है जो एक व्यक्ति को परिष्कृत एवं समृद्ध बनाती है।

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Published

31-12-2015

How to Cite

डाॅ. नीलम. (2015). संत नितानन्द और लोक संस्कृति. International Journal for Research Publication and Seminar, 6(7), 1–4. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/687

Issue

Section

Original Research Article