डाॅ. जगदीप शर्मा ‘राही‘ के काव्य में राजनीतिक एवं आर्थिक मूल्य

Authors

  • कविता कुमारी सहायक प्रोफेसरए के. एम. राजकीय महाविद्यालय, नरवाना, जीन्द ;हरियाणाद्ध

Keywords:

नागरिक, कूटनीति, अपराधवृति

Abstract

जगदीप शर्मा ‘राही‘ ने अपने काव्य में राजनीति का चित्रण किया है। उनके काव्य में राजनीति अनेक रूपों में दिखाई देती है। आज के युग में राजनीति सरलता और स्वच्छता के स्थान पर कुटिलता और कलुषता का प्रतीक बन गयी है। अपने छोटे-छोटे स्वार्थों की पूर्ति के लिए नेताजन बड़े-बड़े राजनीतिक षडयन्त्र रचते हैं। जिस कूटनीति का प्रयोग विदेशी आक्रान्ताओं के लिए किया जाना चाहिए, उसका प्रयोग अब राजनीतिक दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कर रहे हैं। राजनीति पूर्णतः कूटनीति में बदल गई है। नेताओं का मानना है कि कूटनीति राजनीति का प्रखर रूप होती है। राजनीति में चारित्रिक हनन आम बात हो गई है। डाकू, हत्यारे और अपराधवृति के लोगों का राजनीति में निर्बाध प्रवेश हो रहा है। शिष्ट और शालीन नागरिक चुनाव लड़ने से घबराते हैं। पैसे के बल से चुनाव प्रक्रिया उपहास बनकर रह गई हैं। नेताओं की कथनी और करनी में अन्तर आ गया है। वे जो कहते हैं करते नहीं हैं और जो करते हैं उसे कहते नहीं हैं। भारत कहने को ही लोकतांत्रिक देश है । जबकि जनता की यहाॅं कोई सुनवाई नहीं होती। आज के राजनीतिक परिवेश में जनता के हित में काम उतना नहीं होता जितना कि उसका ढोल पीटा जाता है। कुर्सी पर बैठे हुए राजनेता विज्ञापन बाजी में अधिक विश्वास करते हैं। स्थिति यही है कि प्रत्येक नेता ने अपने आगे बाजा बजाने वाले चाटुकारों को ही आश्रय दिया है।

References

NA

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Published

31-12-2015

How to Cite

कविता कुमारी. (2015). डाॅ. जगदीप शर्मा ‘राही‘ के काव्य में राजनीतिक एवं आर्थिक मूल्य. International Journal for Research Publication and Seminar, 6(6). Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/674

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Original Research Article