डाॅ. जगदीप शर्मा ‘राही‘ के काव्य में सामाजिक चेतना
Keywords:
काल्पनिकता, पारिवारिक, दृष्टिकोणAbstract
जगदीप शर्मा ‘राही‘ ने सामाजिक बुराईयों को पारखी नजर से निहारा है। उनके काव्य में समाज की यथार्थता का वर्णन है। उन्होंने अपने काव्य में वास्तविकता पर प्रकाश डाला है न कि काल्पनिकता पर। उन्होंने जीवन में जो अनुभव किया, समाज में जो कुछ देखा उसी का यथातथ्य वर्णन अपने काव्य में किया है। उनके काव्य को पढ़कर ऐसा लगता है कि वे बड़े ही भावुक प्रकति के हैं और समाज से काफी जुड़कर रहते हैं। उन्होंने समाज की छोटी से छोटी बुराई और अच्छाई को बहुत ही नजदीक से अनुभव किया है तथा उसका वर्णन अपने काव्य में किया है। जगदीप शर्मा राही ने समाज के प्रत्येक वर्ग और परिवार की स्थिति का वर्णन किया है। कवि ने समाज में लोगों के दृष्टिकोण को अच्छी तरह से समझा है तथा उसी को अपने काव्य में वर्णित किया है। कवि ने समाज का जो चित्रण किया है वह वास्तविक है। उसमें काल्पनिकता नहीं है। कवि ने पारिवारिक मूल्यों पर दृष्टि डाली है। वे पारिवारिक सम्बन्धों, रिश्तों नातों को अच्छी तरह से समझते हैं।
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