उज्जयिनी की स्त्रियों में विशिष्ट मनोभाव
Keywords:
अवन्ती देश, आकर्षित, अवन्तिका, पुष्पकरण्डिनी, सुन्दरAbstract
प्राचीन काल में अवन्ती देश की राजधानी उज्जयिनी थी। इसका वर्णन नासिक पर्वत की गुफाओं के शिला-लेखों में है। उज्जयिनी शिप्रा नदी के किनारे पर स्थित है और यहाँ महाकाल (शिव) का मन्दिर है। यहाँ बहुत से लोग यात्रा के लिए आया करते हैं। यह एक धार्मिक स्थान है। उज्जयिनी को ही अवन्तिका, विशाला और पुष्पकरण्डिनी भी कहते हैं। मेघूदत में वर्णित उज्जयिनी की वेश्याएँ-स्त्रियाँ भी धार्मिक कार्यों में भाग लेती थी, तो गृहिणीयों का तो कहना ही क्या ? उज्जयिनी पहुँचने से पहले मेघ ने यात्रा-मार्ग में जो देखा वह भी सुन्दर था, मधुर था, उसका भी अपना आकर्षण था, किन्तु यह सब किसी विदग्ध ‘कामरूप‘ नागरिक को आकर्षित करने के लिए काफी न था। अब तक मिलीं भी तो कौन ? ‘मुग्ध सिद्धाङ्गनाएँ‘, ‘भू्रविलासानाभिज्ञ जनपदवधुएँ‘, या धूप से मुरझाये मुखों वाली पुष्पलावियाँ‘, जिनमें सौन्दर्य तो है पर न विभ्रम है, न विलास। उसे तो आदत है भौंहों की मटक, कमर की लचक और मेखला की छनक की, अतः उसे इन्हें पाने के लिए अर्थात् ऐसा दृश्य देखने के लिए नगरों में प्रसिद्ध नगरी, स्वर्ग के कान्तिमान खण्ड, उज्जयिनी जाना ही होगा। रास्ता यदि थोड़ा दूर भी हो जाये तो कोई बात नहीं। कम से कम नेत्र निर्वाण तो प्राप्त होगा ही।1 ‘उदयनकथा-कोविदग्राम-वृद्धान्‘ अर्थात् जहाँ के गाँवों के वृद्ध उदयन राजा की कथाओं के जानकार हैं।1 जहाँ के वृद्ध लोग उदयन आदि राजाओं की कथा के जानकार हैं, स्वाभाविक है वहाँ कि स्त्रियाँ भी अपने इतिहास की कथाओं को सुनने वाली व जानने वाली होगी अर्थात् उज्जयिनी की स्त्रियाँ प्राचीन कथाओं की जानकार थी।
References
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