Impact Of Jainism On Different Parts Of Education

Authors

  • Dr Somnath Das

Keywords:

प्रासंधगक, समाज, प्राचीन, भारतीय दर्शन

Abstract

जैन दर्शन एक प्राचीन भारतीय दर्शन है | बौध धरम की ही तरह यह वैददक दर्शन का ववरोधी है | जैन दर्शन के अनुसार शर्ऺा वह है जी व्यक्तत व ् समाज के शऱए ऱाभप्रद हो उसके चररत्र को अच्छा बनाने में ऱाभदायक हो | अऻान सभी प्रकार के दुखों का कारण है तथा व्यक्तत को इसी अऻान से मुक्तत ददऱाने वाऱी प्रककयाश शर्ऺा है | इस दर्शन के अनेक दार्शननक एवं र्ैक्षऺक ववचार अव्यवहाररक प्रतीत होते हैं ऩर व्यक्तत की ववशभन्न के आधार ऩर शर्ऺण , ववशभन्न
ववषयों को ऩाठ्यक्रम में स्थान, मनोववऻाननक शर्ऺण ववधधयों का व्यक्ततत्व ववकास जैसे अनेक ववचार आज भी र्ैक्षऺक व्यवस्था में भी प्रासंधगक है |

References

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Published

30-06-2015

How to Cite

Dr Somnath Das. (2015). Impact Of Jainism On Different Parts Of Education. International Journal for Research Publication and Seminar, 6(2). Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/730

Issue

Section

Original Research Article