किशोरों में अपराध भावना : एक विवेचना
Keywords:
आक्रमण, हत्या, देशद्रोह, बाल न्याय, राज्य मृत्यु दण्ड, बाल अपराधAbstract
जब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून -विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्य से कम आयु के बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्वायही के लिये बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है। भारत में बाल न्याय अधिनियम 1986 (संशोधित 2000) के अनुसार 16 वर्ष तक की आयु के लडकों एवं 18 वर्ष तक की आयु की लड़कियों के अपराध करने पर बाल अपराधी की श्रेणी में सम्मलित किया गया है। बाल अपराधकी अधिकतम आयु सीमा अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग है। इस आधार पर किसी भी राज्य द्वारा वनधायररत आयु सीमाके अंतर्गत बालि द्वारा किया गया कानूनी विरोधी विषय बाल अपराध है। िेवल आयु ही बाल अपराध िो वनधायररत नहीं िरती वरन् इसमें अपराध िी गंभीरता भी महत्वपूणय पक्ष है। 7 से 16 वर्य िा लड़िा तथा 7 से 18 वर्य िी लड़िी द्वारा िोई भी ऐसा अपराध न किया गया हो वजसिे वलए राज्य मृत्यु दण्ड अथवा आजीवन िारावास देता है जैसे हत्या, देशद्रोह, घाति आक्रमण आकद तो वह बाल अपराधी मानी जायेगा।
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