मध्यकालीन संत साहित्य और दलित चेतना
Keywords:
फलस्वरुप, समरसता, धार्मिक, दलित चेतना, समाज सुधार, सामाजिक, मध्यकालAbstract
भारतीय जीवन में ऐसा समय आया जब सामाजिक ,सांस्कृतिक ,धार्मिक व राजनीतिक परिवतिनों के फलस्वरुप समाज में विघटन एवं विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो गई र्थी ,जिसने सामाजिक समरसता एवम् लोगों की एकात्म भावनाओं को ठेस पहंचाया। अराजकता एवं अव्यवस्र्था की स्थिति ने सम्पूर्ण सामाजिक परिदृश्य को ही बदल कर रख दिया। यह काल मध्यकाल का था और इसी काल में निर्गुण कवितों ने समाज सुधार का बीडा उठाया।
References
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कबीर ग्रंर्थावली,श्यामस ंदर दास
कबीर ग्रंर्थावली,श्यामस ंदर दास
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