‘‘अर्थशास्त्र में वर्णित राज्य की उत्पत्ति का अनुबंध सिद्धान्त’’

Authors

  • डॉ विद्वेश कुमार प्रिक्ता नागररकशास्त्र, जनता इंटर कॉलेज फलािदा, मेरठ

Keywords:

अनुबंध सिद्धान्त, पूर्वीचतित सिद्धान्त निरूपण, कौटिल्य, अर्थशास्त्र, समावेश

Abstract

राज्य की उत्पत्ति विषय अनुबंध सिद्धान्त विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में रेखांकित किया गया है। अनुबंध सिद्धान्त का प्रतिपादन जिन ग्रन्थों में किया गया है, उनमें प्रमुख है: ब्राह्मण, दीघ निकाय, कौटिल्य विरचित ‘अर्थशास्त्र’, महावस्तु और शांतिपर्व का राजधर्म प्रकरण।1 प्रस्तुत लेख में कौटिल्य के अर्थशास्त्र में प्रतिपादित राज्य की उत्पत्ति के अनुबंध सिद्धान्त को रेखांकित किया गया है। यह लेखा द्वितीयक स्रोतों पर अवलंबित है। अर्थशास्त्र में अनुबंध सिद्धान्त राजशक्ति के स्वरूप के बारे में गुप्तचरों के बीच हो रही चर्चा के दौरान आनुवांगिक रूप से निरूपित किया गया है।2 राज्य के सप्तांगों के सैद्धान्तिक विवेचन की तरह इसे सुविचारित और पूर्वीचतित सिद्धान्त निरूपण की कोटि में नहीं रखा जा सकता। फिर भी इसमें अनुबंध की शर्तों में कुछ ऐसे नए तत्वों का समावेश कराया गया है जो पूर्ववर्ती बोध ग्रन्थ ‘दीघ निकाय’ में नहीं है।

References

शर्मा रामशरण, प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाऐं, पृ0 78, 2005, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली

अर्थशास्त्र, प्ण् 13

शर्मा रामशरण, पूर्वोक्त, पृ0 83

वहीं, पृ0 83

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Published

31-03-2018

How to Cite

डॉ विद्वेश कुमार. (2018). ‘‘अर्थशास्त्र में वर्णित राज्य की उत्पत्ति का अनुबंध सिद्धान्त’’. International Journal for Research Publication and Seminar, 9(1), 73–76. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1301

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Original Research Article