बहुभाषिकता का अभिप्राय , चिंतन एवं भारतीय शिक्षा में स्थान

Authors

  • डॉ अभमत कुमार जायसवाल एसोभसयेट प्रोफेसर (बी. एड. षवभाग) गवननमेंट पीजी कालेज, कोटद्वार , उत्तराखिंड

Keywords:

बहुभाषिकता, सिंसािन, भाषायों, समायोजन, कुमायूनी, गुजराती, मराठी

Abstract

अगर किसी बच्चे  के घर पर कुमायूनी बोली जाती है। स्कूल में होने वाली पढाई इंग्लिश  और हिंदी में होती है तो बच्चे के लिए स्कूल में समायोजन करना काफी मुश्किल  होगा अगर उसको अपनी भाषा  में बोलने का मौका नहीिं दिया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी बच्चे के घर में गुजराती, मराठी, बंगला या हिंदी बोली जाती है और स्कूल में पढाई का माध्यम अंग्रेज़ी है तो ऐसे में बच्चे एक से अधिक भाषायों के संपर्क  में आता है। धीरे - धीरे  उसमें कुशलता का एक स्तर हासिल  करता है। एक से अधिक भाषायों के प्रति  सम्मान का भाव और मूलतः एक से अधिक भाषायों के इस्तेमाल के विचार को स्वीकार करना और उसे रोजमरान के जीवन में स्थान देना ही, सही मायने में बहुभाषिकता है। प्रस्तुत आलेख में बहुभाषिकता का अभभप्राय , भ िंतन एविं भारतीय भिक्षा में स्थान की षववे ना करने का प्रारग्म्भक यत्न ककया गया है |

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Published

30-09-2020

How to Cite

डॉ अभमत कुमार जायसवाल. (2020). बहुभाषिकता का अभिप्राय , चिंतन एवं भारतीय शिक्षा में स्थान. International Journal for Research Publication and Seminar, 11(3), 180–186. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1179

Issue

Section

Original Research Article