राष्ट्र निर्माण में शोध की भूमिका

Authors

  • शिवानी चौहान शोधार्थी , हहुंदी नवभाग , डॉ भीर्राव आुंबेडकर नवश्वनवद्यालय, आगरा
  • डॉ गुंजन एसोनसएट प्रोफेसर, बी॰डी॰के॰एर्॰वी॰ , हहुंदी नवभाग , डॉ भीर्राव आुंबेडकर नवश्वनवद्यालय, आगरा

Keywords:

राष्ट्र निर्माण, रेखाुंककत, प्रेरणास्वरूप

Abstract

प्रस्त त आलेख एक राष्ट्र के निर्ााण र्े शोध की क्या भूनर्का होती है , के र्ूलयाुंकि का एक प्रयास है । ‘राष्ट्र’ क्या है? कैसे बिता है? राष्ट्र निर्ााण हेत कौि से कारण उत्तरदायी हैं? इि सभी प्रश्नों के उत्तर पािे की लालसा ही प्रेरणास्वरूप अि सुंनधत्स के ज़हि र्ें आरोनपत हुईं । ककसी भी राष्ट्र के निर्ााण के र्ूल र्ें नशक्षा का अनस्तत्व नवद्यर्ाि रहता है । जो राष्ट्र नजतिा अनधक नशनक्षत होगा उतिा उसका भनवष्य स रनक्षत तर्था सर्ृद्ध होगा। शोध को नशकशा का उच्चतर् सोपाि र्ािा जाता है , इसी नवचार के फलस्वरूप शोध को यकद राष्ट्र के निर्ााण की रीढ़ कहा जाए तो अनतशयोनि ि होगी। अत: अि सुंनधत्स का उद्देश्य इस नवचार का नवनधवत आुंकलि करिा है। अपिे उद्देश्य की प्रनतपूर्ता हेत भारत के सुंदभा र्ें , राष्ट्र की अवधारणा, राष्ट्र के निर्ााण र्ें नशक्षा तर्था शोध के र्हत्त्व को रेखाुंककत करिे तर्था शोध के नवनवध प्रकारों तर्था उिके औनचत्य के र्ूलयाुंकि का प्रयास ककया गया है।

References

- John w. Best & James N. Kahn , ‘ Research in Education’, 6th edition, 1989.

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- ऑिलाइि लाइब्रेरी ( NATIONAL LIBRARY OF AUSTRALIA, इ- प स्तकालय )

- नवककपीनडया

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Published

31-03-2020

How to Cite

शिवानी चौहान, & डॉ गुंजन. (2020). राष्ट्र निर्माण में शोध की भूमिका . International Journal for Research Publication and Seminar, 11(1), 73–76. Retrieved from https://jrps.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1089

Issue

Section

Original Research Article